उत्तराखंड में तेजी से घट रहे पंचायती-निजी वन क्षेत्र,पिछले पांच साल में आग की घटनाएं तीन गुना बढ़ीं
उत्तराखंड में वन पंचायत और निजी क्षेत्र के अधीन आने वाले जंगल तेजी से घटते जा रहे हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि इन दो व्यवस्थाओं के तहत आने वाले जंगल, सालाना 70 से 80 वर्ग किमी की दर से खत्म हो रहे हैं। इंसानी जरूरतों का दबाव और आग लगने की घटनाएं इसका कारण बताई जा रही हैं। पिछले पांच साल में आग की घटनाएं तीन गुना तक बढ़़ी हैं।
राज्य में कुल 37999.60 वर्ग किमी क्षेत्र है। इसमें वन विभाग के अधीन 25863.18 वर्ग किमी वन क्षेत्र है, जबकि 4768.704 वर्ग किमी वन क्षेत्र का प्रबंधन राजस्व विभाग करता है। 7168.502 वर्ग किमी क्षेत्र वन पंचायतों के पास है। जबकि 156.444 वर्ग किमी वन क्षेत्र निजी हाथों में है।
अधिकारियों के मुताबिक वन पंचायत और निजी हाथों में जो जंगल है उनका दायरा लगातार घट रहा है। जबकि, वन विभाग और राजस्व विभाग के पास जो जंगल हैं उनका दायरा बढ़ रहा है।वन विशेषज्ञों का कहना है कि वन विभाग की ओर से इन जंगलों को बचाने और बढ़ाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। वन विशेषज्ञ मानते हैं जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान हर साल लगने वाली आग से होता है।