उत्तराखंड चुनाव: सत्ता में वापसी न हुई तो कांग्रेस के लिए बढ़ेगी चुनौतियां
वर्तमान चुनाव ने उत्तराखंड की भविष्य की राजनीति की झलक भी दिखा दी है। खासकर कांग्रेस के लिए इस चुनाव के नतीजे काफी महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने का मिथक यदि इस बार भी कायम रहता है तो कांग्रेस को नई ताकत मिलेगी। यदि यह मिथक टूटता है तो भविष्य में नई चुनौतियों का सामना कांग्रेस को करना पड़ेगा। जिस प्रकार आम आदमी पार्टी, बसपा और यूकेडी ने इस चुनाव में तेवर दिखाए हैं, उससे साफ है कि अगला चुनाव तक तीसरी ताकत बनने का प्रयास कर रहे ये दल और आक्रामक अंदाज अख्तियार करेंगे।
कांग्रेस के रणनीतिकार भी इस पहलू पर गंभीर हैं। एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि, बसपा और आप ने मैदानी जिलों और खासकर शहरों पर ज्यादा फोकस रखा है। हालांकि मतदान के नतीजे तो 10 मार्च को आने हैं, लेकिन कुछ सीटों पर आप, बसपा और निर्दलीय अच्छा प्रदर्शन करते हुए नजर आए हैं। बदले हालात में कांग्रेस को अपने सांगठनिक ढांचे में बूथ स्तर तक आमूलचूल संशोधन की जरूरत है। जिस प्रकार भाजपा ने पन्ना प्रमुख का फार्मूला लागू किया है, उसी प्रकार हर बूथ पर ऐसी टीम तैयार करनी होगी, जो उस क्षेत्र के प्रत्येक मतदाता के संपर्क में रहे।