महंत ने चार साल तक नेपाल के किशोर को बनाया बंधक, कई दिन भूखा रखने और मारपीट का आरोप

एक मंदिर के महंत पर नेपाली मूल के किशोर को चार साल तक बंधक बनाकर रखने का आरोप लगा है। किशोर के भाई ने दिल्ली की एक संस्था से संपर्क किया, जिसके बाद संस्था ने पुलिस की मदद से किशोर को महंत के कब्जे से छुड़वाया। लिखित बयान में किशोर ने महंत और उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगाये। बाद में जिला बाल कल्याण समिति ने पुलिस को किशोर को सुरक्षित नेपाल सीमा तक छोड़ने और आरोपों की जांच-कार्रवाई के निर्देश दिये।
वहीं, महंत ने आरोपों को नकार दिया। जिला बाल कल्याण समिति के अनुसार नेपाल के चितवन स्थित भरतपुर निवासी रोहने बागले ने बीते दिनों बचपन बचाओ आंदोलन संस्था दिल्ली से संपर्क किया था। आरोप था कि उनके नाबालिग भाई को रुद्रपुर के एक मंदिर में चार साल से बंधक बनाकर रखा गया है। संस्था ने उत्तराखंड में अपने पदाधिकारियों को जानकारी दी। संस्था के उत्तराखंड समन्वयक सुरेश उनियाल ने जिला बाल कल्याण समिति से संपर्क किया।
शनिवार दोपहर उनियाल, चाइल्ड हेल्पलाइन ऊधमसिंह नगर की समन्वयक सायरा बानो ने पुलिसकर्मियों की मदद से किशोर को मंदिर से मुक्त कराया। उसे जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर काउंसिलिंग की गयी। इस दौरान किशोर ने मंदिर के महंत और उनके पुत्र पर बंधक बनाकर रखने, मारपीट करने, कई दिन तक भूखा रखने, काम के एवज में पैसा नहीं देने के आरोप लगाये।
बयान दर्ज करने के बाद समिति ने एसएसपी को भेजे पत्र में मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिये। साथ ही किशोर और उसके भाई को सुरक्षित नेपाल सीमा तक पहुंचाने को कहा गया है। फिलहाल किशोर को उसके भाई के सुपुर्द कर दिया गया। वहीं, महंत का कहना है कि उन पर लगाये सभी आरोप निराधार हैं। उनका कहना है कि किशोर अपनी मर्जी से मंदिर में रहकर दीक्षा ले रहा था। उसे किसी प्रकार से उत्पीड़ति नहीं किया गया।
जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एडवोकेट प्रेमलता सिंह ने कहा, ‘किशोर के बयान दर्ज किये गये। उसके भाई की ओर से कानूनी कार्रवाई का प्रार्थना पत्र दिया गया था। समिति ने किशोर न्याय अधिनियम के तहत पुलिस को जांच और कार्रवाई को कहा है। किशोर को नेपाल बॉर्डर तक सुरक्षा के साथ छोड़ने के लिए कहा गया है। किशोर के भाई से शपथपत्र लेते हुए किशोर को उसकी सुपुदर्गी में दिया गया है।’