कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार कर रहा बच्चों को वात्सल्य से दूर, हफ्तेभर में खत्म हो जाएगी चयन की प्रक्रिया

कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार कर रहा बच्चों को वात्सल्य से दूर, हफ्तेभर में खत्म हो जाएगी चयन की प्रक्रिया

देश में कोविडकाल के दौरान अपने माता-पिता या फिर दोनों में से किसी एक को खो चुके चार हजार से अधिक बच्चे मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना से जुड़ चुके हैं, लेकिन सत्यापन नहीं हो पाने से वे अभी तक लाभ से वंचित हैं। कारण उत्तराखंड लेखपाल संघ से जुड़े देहरादून के राजस्व उप निरीक्षकों का अतिरिक्त कार्य से बहिष्कार है।

अब योजना की प्रक्रिया की तय समय सीमा खत्म होने में एक हफ्ता बचा है लेकिन सरकार ने सत्यापन पूरा कराने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है।  कोई भी पात्र बच्चा योजना के लाभ पाने से न छूट जाए, इसके लिए सरकार ने आवेदन की तिथि को 31 मई तक बढ़ा दिया था लेकिन बच्चों के सत्यापन का काम संभालने वाले राजस्व उपनिरीक्षकों ने 21 अप्रैल से कार्य बहिष्कार कर दिया।

दरअसल प्रदेश में पर्याप्त संख्या में राजस्व उप निरीक्षकों के न होने से उन पर दो से अधिक क्षेत्र में सत्यापन का अतिरिक्त कार्यभार है। कार्य की अधिकता और तय समयसीमा में पूरा करने के दबाव के चलते उनमें नाराजगी है।

छह साल से प्रदेश में राजस्व उप निरीक्षकों की भर्ती नहीं हुई।आधे पद खाली हैं। इन पर काम का दबाव अधिक है। संसाधनों की भी कमी है। क्षमता से अधिक कोई कैसे काम कर सकता है। -हुकम चंद पाल, प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड लेखपाल संघ 

राजस्व उप निरीक्षकों को 1982 में लेखपाल क्षेत्र बांटे गए थे। इन क्षेत्रों की आबादी तब से कई गुना बढ़ चुकी है, लेकिन पटवारी क्षेत्र आज भी वही हैं। हालात ये हैं कि एक कर्मचारी के पास दो से तीन पटवारी क्षेत्रों का अतिरिक्त काम है। -संगत सिंह सैनी, जिलाध्यक्ष लेखपाल संघ 

इस मामले में शासन स्तर से बुधवार को जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया जाएगा कि वे अपने स्तर से निर्णय लें। जहां ऐसी दिक्कत है, वहां कर्मचारी सीधे डीएम से मिलकर अपनी बात रखें।

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