मैदानी इलाकों से पर्वतीय जिलों में जाने पर जान का हो सकता है खतरा
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मैदानी क्षेत्र को पहाड़ से जोड़ने के लिए हल्द्वानी के तीनों पुल अहम हैं, लेकिन सिस्टम के लचर रवैये के बीच इनका काम अटका हुआ है। गौला पुल की सुरक्षा के लिए जरूरी रिवर ट्रेनिंग होनी है, मगर इसके लिए बजट मंजूर नहीं हुआ है। ऐसे में मानसून के दौरान नदी के उफान में होने पर खतरा होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है।
वहीं काठगोदाम स्थित कलसिया पुल बनाने के लिए चार टेंडरों के बाद भी ठेकेदार नहीं मिल पाया। रानीबाग पुल निर्माण पूरा होने की तय मियाद से तीन माह आगे खिसक गया। अब पुल तैयार होने में एक माह और लगने की बात कही जा रही है। हल्द्वानी क्षेत्र के तीनों पुलों में गौला पुल पहाड़ों के वाहनों के संचालन के साथ ही गौलापार क्षेत्र के लोगों की आवाजाही के लिए काफी जरूरी है।
गौला पुल के नीचे अंधाधुंध अवैध खनन की वजह से 2011 में पुराना पुल टूट गया था। उसके बाद बनाया गया नया पुल भी अवैध खनन से प्रभावित हुआ है। पिछले साल अक्तूबर में आई आपदा से पुल के पश्चिमी हिस्से की सड़क से जुड़ने वाली एप्रोच वॉल नदी में तेज बहाव के चलते ढह गई थी।
साथ ही पिलरों को भी काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि, उसके बाद एप्रोच वॉल बना दी गई थी और वर्तमान में अन्य काम किए जा रहे हैं। लेकिन आईआईटी के विशेषज्ञों ने पुल की सुरक्षा के लिए खनन कार्य बंद कराने को कहा था। साथ ही गौला नदी को चैनलाइज करते हुए रिवर ट्रेनिंग करने को कहा गया था। एनएचएआई ने लोनिवि को इस काम के लिए अधिकृत किया था। रिवर ट्रेनिंग को केंद्र सरकार से 23 करोड़ रुपये मांगे गए थे, लेकिन बजट मंजूर नहीं हो पाया है। इधर, अब मानसून की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में पुल की सुरक्षा का सवाल भी खड़ा हो रहा है।
इसलिए जरूरी है रिवर ट्रेनिंग
गौला नदी में अवैध खनन होने से पानी का बहाव पश्चिमी हिस्से में किनारे की ओर है। ऐसे में एप्रोच वॉल की ओर कटान होने से खतरा बना हुआ है। जानकारों के अनुसार रिवर ट्रेनिंग होने से नदी में पानी बीचोबीच बहेगा। इससे पुल सुरक्षित रहेगा।
कलसिया पुल
काठगोदाम में कलसिया नाले पर नया पुल बनाने का फैसला लिया गया। पहली टेंडर प्रक्रिया पिछले साल अक्तूबर में हुई। लेकिन संचालन बंद करने की इजाजत न मिलने से काम में देरी हुई। फरवरी में निर्माण सामग्री महंगी होने की बात कहते हुए ठेकेदार ने काम करने से मना कर दिया। इसके बाद तीन बाद टेंडर प्रक्रिया में कोई आवेदन नहीं आया। हालांकि इस पर वैली ब्रिज लगाकर काम चलाया जा रहा है।
रानीबाग पुल
रानीबाग-भीमताल मार्ग पर टू-लेन पुल का निर्माण हो रहा है। इसका काम मार्च में पूरा कर अप्रैल से वाहनों का संचालन शुरू होना था। लेकिन पुल का काम तीन माह लेट हो चुका है। अभी एक माह और लगने की बात कही जा रही है। लोनिवि अधिकारी देरी के पीछे मानसून में एप्रोच वॉल टूटना, यातायात का दबाव और पहाड़ काटने की अनुमति मिलने में देरी होना बता रहे हैं।गौला पुल की एप्रोच वॉल हमने तैयार कर दी थी और सुरक्षा को लेकर अन्य काम चल रहे हैं। रिवर ट्रेनिंग को लेकर लोनिवि को अधिकृत किया था। वहां से प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मंजूर होने पर काम कराया जाएगा।