ऐसे होगी कॉलेजों में पढ़ाई? 19 वर्ष से पीजी कॉलेज को भवनों के लिए नहीं मिली जमीन

ऐसे होगी कॉलेजों में पढ़ाई? 19 वर्ष से पीजी कॉलेज को भवनों के लिए नहीं मिली जमीन

जिला मुख्यालय स्थित पीजी कॉलेज बीते 19 वर्षों से उधारी के भवनों में संचालित हो रहा है। कॉलेज के पास अपनी भूमि और भवन न होने के कारण कॉलेज प्रशासन सहित छात्रों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भूमि और भवनों के अभाव में छात्रों को पठन-पाठन के साथ खेल गतिविधियों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

टिहरी बांध बनाने के बाद पुरानी टिहरी शहर से एसआरटी कैंपस को बादशाहीथौल शिफ्ट कर दिया गया। जिला मुख्यालय में पीजी कॉलेज न होने पर तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष स्व. राकेश सेमवाल ने जिला मुख्यालय में कॉलेज की मांग को लेकर भूख हड़ताल की। जिसके बाद बादशाहीथौल और चंबा के बीच में पूर्व से संचालित हो रहे, राजकीय महाविद्यालय को वर्ष 2003 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अस्थाई रूप से जीआईटीआई के भवनों में शिफ्ट कर दिया।

लेकिन 19 साल बाद भी पीजी कॉलेज को अपना भवन नहीं मिल पाया है। पूर्व के वर्षों में कॉलेज के लिए भागीरथी पुरम और कोटी कॉलोनी के बीच खांडखाला में जमीन चयनित की गई थी, लेकिन जीएसआई की रिपोर्ट में भूमि को कॉलेज निर्माण के लिये उपयुक्त नहीं पाया गया। बीते वर्षों में जिला मुख्यालय से सटे डायजर के निकट वन विभाग के फायर कंट्रोल दफ्तार के पास की जमीन का कॉलेज के लिये चयन किया गया, लेकिन जमीन कम होने के साथ चीड़ का जंगल होने के कारण मामला अधर में लटका गया।

यूजी और पीजी के 19 विषय संचालित: वर्तमान समय में कॉलेज में कला, साइंस और वाणिज्य फैकल्टी के साथ यूजी और पीजी मिलाकर 19 विषयों की कक्षाएं संचालित हो रही है। साथ ही कॉलेज में उत्तराखंड मुक्त विवि का केंद्र भी बनाया गया है।

यूजीसी और रुसा ग्रांट से वंचित
नई टिहरी पीजी कॉलेज के पास अपनी भूमि और भवन न होने के कारण प्रत्येक वर्ष कॉलेज को मिलने वाली यूजीसी और रुसा की ग्रांट भी नहीं मिल पा रही है। मैदान के आभाव में छात्रों के बीच अंतर संकाय खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन को लेकर भी कॉलेज प्रशासन को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

कॉलेज के पास अपनी भूमि और भवन न होने के कारण कई दिक्कतें आ रही हैं। सबसे बेहतर तो यह की शासन-प्रशासन कॉलेज के नाम पर जीआईटीआई के भवन और भूमि को ही विधिवत हस्तांतरित कर दे। अन्यथा कॉलेज निर्माण के लिये जिला मुख्यालय के पास उपयुक्त भूमि उपलब्ध कर दे, ताकि समस्या समाधान हो सके।
डॉ. रेनू नेगी, प्राचार्य, नई टिहरी

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