सीबीआई, रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड ने खंगाले मोबाइल टावरों के दस्तावेज

सीबीआई, रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड ने खंगाले मोबाइल टावरों के दस्तावेज

सीबीआई, रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड ने सोमवार को देहरादून कैंट क्षेत्र में बिना एनओसी के लगे मोबाइल टावरों का निरीक्षण करने के साथ ही कैंट बोर्ड कार्यालय में टावरों से संबंधित दस्तावेज खंगाले। इस दौरान जिन मोबाइल टावर मालिकों ने सीबीआई और कैंट बोर्ड को अनुबंधपत्र नहीं दिए, उन्हें दो दिन का समय दिया गया है।

दरअसल, कैंट बोर्ड क्षेत्र में 60 से ज्यादा बड़े और छोटे अवैध मोबाइल टावर लगे हुए हैं। नियमानुसार कैंट में मोबाइल टावर लगाने के लिए रक्षा मंत्रालय और कैंट बोर्ड की अनुमति जरूरी है, लेकिन कैंट में जितने भी मोबाइल टावर लगाए गए हैं, वह बिना अनुमति के लगाए गए हैं। बताया जा रहा कि सेना ने इन टावरों से सुरक्षा को खतरा बताते हुए पूर्व में कैंट बोर्ड से अवैध मोबाइल टावर पर उचित कार्रवाई करने से संबंधित पत्र लिखा था, लेकिन कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्ड को दोबारा रिमांडर भेजा था, लेकिन कैंट बोर्ड ने केवल नोटिस भेजकर इतिश्री कर ली। मोबाइल टावरों के खिलाफ कैंट बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद सोमवार को सीबीआई की दो टीमें और रक्षा संपदा विभाग की टीम कैंट बोर्ड ऑफिस पहुंची। इसमें से एक टीम ने कैंट बोर्ड ऑफिस में मोबाइल टावरों से संबंधित दस्तावेज खंगाले, तो दूसरी टीम कैंट बोर्ड के अवर अभियंता नवनीत क्षेत्री और कर्मचारी रमन अग्रवाल संग प्रेमनगर, गढ़ी-डाकरा पहुंची और वहां मोबाइल टावरों का निरीक्षण किया। इस दौरान जिन घरों, दुकानों के ऊपर मोबाइल टावर लगे हैं, उनके मालिकों से मोबाइल कंपनी के अनुबंध की जांच की। इस बीच कई भवन मालिक अनुबंधपत्र नहीं दिखा पाए। जिसके बाद उन्हें दो दिन के अंदर अनुबंधपत्र सीबीआई और कैंट बोर्ड के सामने प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।

कैंट बोर्ड को करोड़ों के राजस्व का नुकसान

अवैध मोबाइल टावरों से कैंट बोर्ड को भी करोड़ों का नुकसान हो रहा है। अन्य कैंटों में मोबाइल टावरों से लाखों रुपये लाइसेंस शुल्क लिया जाता है, लेकिन दून कैंट में कोई लाइसेंस शुल्क नहीं लिया जाता। हालांकि, अब कैंट बोर्ड ने मोबाइल टावरों के साथ ही होटल, रेस्तरां, लॉज, पेट्रोल पंपों से लाइसेंस फीस वसूलने का प्रस्ताव तैयार किया है। जिसको अगली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा।

सीईओ कैंट बोर्ड अभिनव सिंह ने बताया कि बोर्ड ने पेट्रोल पंपों पर दो लाख प्रति वर्ष, नर्सिंग होम पर 50 हजार, वेडिंग प्वाइंट पर तीन लाख प्रतिवर्ष, बैंकों पर एक लाख प्रतिवर्ष लाइसेंस फीस का प्रस्ताव बनाया है। इसके लिए टीम ने घर-घर जाकर निरीक्षण किया और सभी टॉवर मालिकों को हिदायत दी कि जब से टावर लगाए गए हैं, तब से लाइसेंस फीस ली जाएगी। कुछ मोबाइल टावर मालिकों, होटल और पेट्रोल पंप मालिकों को कैंट बोर्ड के कार्यालय में बुलाया भी गया था।

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