UKSSSC पेपर लीक मुद्दे से ध्यान हटाने की सियासत तो नहीं! विधानसभा की नियुक्तियों ने पकड़ा तूल
यूकेएसएसएससी (UKSSSC)पेपर लीक घपले के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बीच में जिस प्रकार विधानसभा की नियुक्तियों का मुद्दा उछला है, उसने कुछ सवालों को जन्म दे दिया है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि कहीं विस की नियुक्तियों के मामले को रणनीतिक तूल तो नहीं दिया जा रहा? जिससे पेपर लीक घपले की कार्रवाई से ध्यान हट जाए?
विभिन्न परीक्षाओं में पेपर लीक घपले में अब तक एसटीएफ 27 अपराधियों को सलाखों के पीछे डाल चुकी है। अभी कुछ और गिरफ्तारियां होने वाली हैं। लेकिन, हालिया तीन दिन से पूरे प्रदेश का फोकस विस की नियुक्तियों के मामले पर है। जुलाई में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर एसटीएफ ने पेपर लीक मामले में तेजी से कार्रवाई शुरू की थी।
एक के बाद एक सूत्र पकड़ते हुए एसटीएफ ने 27 लोगों को गिरफ्तार किया। इस मामले में अभी कई और शातिर तथा बड़ी मछलियां एसटीएफ के राडार पर हैं। हजारों युवाओं के भविष्य से जुड़े इस घपले में जैसे ही लगने लगा कि एसटीएफ तेजी से आगे बढ़ रही है, अचानक ही विस की नियुक्तियों का विवाद बाहर आ गया।
विधानसभा की नियुक्तियां केवल एक ही दल के कार्यकाल की नहीं हैं बल्कि वर्ष 2000 से अब तक भाजपा और कांग्रेस सरकारों में कम-ज्यादा होती आ रही हैं। हालांकि यह भी अपने आप में जांच का विषय है, लेकिन पूरे सिस्टम का फोकस अब जिस प्रकार विधानसभा पर आकर टिक गया है, वो चौंकाने वाला है।
गौर करने वाली बात है कि पिछले करीब महीनेभर से बेहद तेज रफ्तार से पेपर लीक मामले कि कार्रवाई ,अचानक विधानसभा में नियुक्तियों वाले मुद्दे के चलते बहस से बाहर सा हो गया है।
एक महीने में पांच भर्तियों की जांच के आदेशर: पेपर लीक घपले में धामी सरकार ने भी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए एक के बाद एक भर्ती की जांच के आदेश दिए। इस मामले में भाजपा नेता हाकम सिंह से लेकर पेपर छापने वाली लखनऊ की कंपनी का मालिक तक गिरफ्तार हो चुका है। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी घपले में इस पैमाने पर और तेजी से कार्रवाई हुई हो।
विधानसभा में नियुक्तियों की जांच को भी सरकार तैयार: पेपर लीक के साथ सरकार विस की नियुक्तियों की जांच कराने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीते रोज दो टूक कह भी चुके हैं कि वो इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे।
विस में नियुक्ति पर पहले भी उठे हैं सवाल: विस में नियुक्तियों को लेकर सवाल उठने का यह पहला मौका नहीं है। यहां की नियुक्तियों पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान और रविंद्र जुगरान अक्सर ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं तथा ये सुर्खियां भी बनता रहा है। आजकल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूचियां पहले भी आती रहीं हैं लेकिन अब अचानक सारी बहस इसी मुद्दे पर केंद्रित हो गई।