पिछले चुनावों में अच्‍छा नहीं रहा प्रदर्शन, अब भाजपा के लिए साख का सवाल

पिछले चुनावों में अच्‍छा नहीं रहा प्रदर्शन, अब भाजपा के लिए साख का सवाल

इस साल हुए विधानसभा चुनाव और पिछले नगर निकाय व पंचायत चुनाव में हरिद्वार जिले में आशानुरूप प्रदर्शन न कर पाने वाली भाजपा के लिए अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव साख का सवाल बन गया है।

इसे देखते हुए पार्टी ने हरिद्वार में पूरी ताकत झोंक दी है। जानकारों के अनुसार यदि चुनाव परिणाम बेहतर रहे तो हरिद्वार जिले में यह भाजपा के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगा।

विस चुनाव में केवल तीन सीटों पर सिमट गई भाजपा

विधानसभा की 11 सीटों वाले हरिद्वार जिले में वर्ष 2017 में भाजपा ने आठ पर जीत दर्ज की थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा वहां केवल तीन सीटों पर सिमट गई थी।

यही नहीं, पिछले नगर निकाय के चुनावों में उसे हरिद्वार व रुड़की नगर निगम के महापौर पदों पर हार का सामना करना पड़ा था। यद्यपि, रुड़की के महापौर बाद में भाजपा में शामिल हुए, लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

यही नहीं, पिछले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी भाजपा को सफलता नहीं मिल पाई थी।

इस सबको देखते हुए भाजपा के प्रांतीय नेतृत्व ने अब इन दिनों हरिद्वार में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर खास ध्यान केंद्रित किया है। इस कड़ी में हरिद्वार जिला पंचायत के सदस्य पदों के लिए उसने गहन होमवर्क के बाद ही प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

इसके साथ ही सांसद, विधायकों, पूर्व विधायकों, विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों के अलावा पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को भी मोर्चे पर लगाया गया है। जानकारों का कहना है कि भाजपा के लिए पंचायत चुनाव एक प्रकार से प्रतिष्ठा से जुड़ा प्रश्न है। उसका प्रयास ये रहेगा कि वह पंचायत चुनाव में परचम लहराकर आगे के चुनावों के लिए जीत की राह प्रशस्त करे।

चंपावत उपचुनाव में भाजपा ने जो फार्मूला अपनाया था, वही हरिद्वार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी अपनाया गया है। हरिद्वार में इस बार भाजपा को जबर्दस्त सफलता मिलने जा रही है। न केवल जिला पंचायत, बल्कि वहां की सभी क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख और ग्राम प्रधान पदों पर भी भाजपा को जीत मिलेगी।

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