10 वर्ष बाद भी दिखने लगता है रैबीज का प्रभाव, टीकाकरण जरूरी
डाग बाइट से रैबीज का खतरा रहता है। ऐसे में एंटी रैबीज का टीका जरूरी है। पिछले कुछ समय से डाग बाइट के मामले बढ़ने से अस्पतालों में टीका लगवाने वालों की संख्या भी बढ़ गई है। डाक्टरों का कहना है कि रैबीज का टीकाकरण बहुत जरूरी है। इस बीमारी का इलाज नहीं है। कई बार 10 वर्ष बाद भी रैबीज के लक्षण उभरने लगते हैं।
बेस अस्पताल हल्द्वानी के रिकार्ड के अनुसार 2021 में पांच महीने में 2107 लोगों ने एंटी रैबीज का टीका लगाया था, जबकि 2022 में इन्हीं पांच महीनों में 3424 लोगों ने टीका लगवाया है। इसमें 80 प्रतिशत कुत्ते के काटने के मामले हैं।
इसके अतिरिक्त बिल्ली, बंदर व अन्य जंगली जानवरों के काटने के मामले हैं। हर माह यह संख्या लगातार बढ़ रही है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. मनोज कांडपाल का कहना है कि आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए नगर निगम स्तर पर पूरी तैयार की जा रही है।
पिछले वर्ष की तुलना में बढ़े मामले
माह 2021 2022
अप्रैल 426 759
मई 237 680
जून 428 686
जुलाई 496 604
अगस्त 520 694
नोट – बेस अस्पताल में एंटी रैबीज टीका लगाने वालों का आंकड़ा।
2007 से मनाया जाता है दिवस
विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था। यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर एलायंस फार रेबीज कंट्रोल और सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, यूएसए के सहयोग से हुआ था।
हल्द्वानी में 3200 कुत्तों की नसबंदी
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. मनोज कांडपाल ने बताया कि शहर में अब तक 3200 कुत्तों की नसबंदी करा दी गई है। साथ ही इन्हें एंटी रैबीज का टीका भी लगाया गया है। हमने 10 हजार कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही उन्हीं कुत्तों का पंजीकरण किया जा रहा है, जिनका टीकाकरण हुआ है।