दून अस्पताल के ब्लड बैंक में नियम तार-तार, एक्सपर्ट कमेटी को चौतरफा मिली खामियां
दून अस्पताल में ब्लड बैंक की जांच कर रही एक्सपर्ट कमेटी को गुरुवार को चौतरफा अनियमितताएं मिलीं। यहां रिकॉर्ड और इसके संचालन में नियमों की अनदेखी सामने आई। साथ ही, डॉक्टर-कर्मचारियों के बयानों में भी विरोधाभास मिला। हालांकि, डॉ. पीयूष सागर की ओर से लगाए गए प्लेटलेट्स चोरी करने और बेचे जाने के आरोपों की फिलहाल पुष्टि नहीं हो सकीएमएस डॉ. यूसुफ रिजवी की ओर से इस कमेटी की रिपोर्ट प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना को सौंपी गई।
डीएमएस करेंगे निगरानी
प्राचार्य के अनुसार, एमएस ने जांच के मुख्य बिंदु और सुझावों के साथ रिपोर्ट दी है। ब्लड बैंक ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के तहत चलता है, विभाग को यहां स्थापित किया जा रहा है। तब तक पैथोलॉजी विभाग के एचओडी एवं वरिष्ठ डॉक्टरों से समन्वय बनाकर बेहतर संचालन को कहा गया है। डिप्टी एमएस प्रशासन डा. एनएस खत्री की देखरेख में ब्लड बैंक का संचालन किया जाएगा।
कार्रवाई के नाम पर ठिठके कदम
एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह पहले दे दी थी। लेकिन, प्रबंधन इसे दबाए बैठा रहा। जांच में लापरवाही सामने आने पर भी प्रबंधन कार्रवाई से कतरा रहा है। इससे सवाल उठ रहे हैं। प्राचार्य का दावा है कि एक सप्ताह में बड़ी कार्रवाई के साथ कुछ बदलाव भी देखने को मिलेंगे।
जांच में सामने आया कि ब्लड बैंक के संचालन में ड्रग एवं कॉस्मेटिक ऐक्ट और एनएमसी के मानकों की अनदेखी की जा रही है। कई जगह रिकॉर्ड में कांट-छांट की गई है। ब्लड, प्लेटलेट, प्लाज्मा कब और किसे देने का रिकॉर्ड भी दुरुस्त नहीं था। बता दें कि डॉ. पीयूष सागर के आरोपों पर प्राचार्य ने पहले आंतरिक जांच कराई थी। तब उस जांच से संतुष्ट नहीं होने पर उन्होंने सीएम पोर्टल पर शिकायत कर दी थी। इसके बाद डीएमएस डॉ. एनएस खत्री, एम्स के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की निदेशक डॉ. गीता नेगी, डॉ. अनुराग अग्रवाल एवं डॉ. हरीश बसेड़ा की एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई।