उत्तराखंड में भी अस्पतालों ने की बिलों में गड़बड़ी, लेकिन आडिट में पकड़े गए
उत्तराखंड के निजी अस्पतालों ने भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर आयुष्मान योजना में मरीजों के उपचार के बिलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की, लेकिन सरकारी खजाने से भुगतान प्राप्त करने से पहले ही उनका कारनामा पकड़ में आ गया।
115 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के क्लेम निरस्त
निजी अस्पतालों की पोल राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के आडिट में खुली। प्राधिकरण पिछले चार साल में ऐसे अस्पतालों के 115 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के 30,786 फर्जी क्लेम निरस्त कर चुका है।
यह कुल दावों का 11 प्रतिशत है। फर्जीवाड़ा करने वाले 29 अस्पतालों की योजना से संबद्धता भी निरस्त की जा चुकी है। इसके अलावा योजना में निष्क्रियता के चलते भी 20 अस्पतालों की संबद्धता समाप्त की गई है।
यह प्राधिकरण की अभेद्य व्यवस्था का ही परिणाम है कि उत्तराखंड में अब तक आयुष्मान योजना में एक भी रुपये का गलत भुगतान नहीं हुआ है। इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य को ‘फ्राड प्रिवेंशन एंड आडिट’ वर्ग में आयुष्मान उत्कृष्टता पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।
भविष्य में इस योजना के तहत भुगतान में किसी गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे, इसके लिए दो माह पहले अस्पतालों के बिलों के भुगतान की व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बना दिया गया। इसके अंतर्गत अब उपचार कराने वाले मरीज से पुष्टि कराने के बाद ही अस्पतालों को भुगतान किया जा रहा है।
इसी वर्ष दो अक्टूबर से लागू हुई इस व्यवस्था के अमल में आने के बाद 7.50 करोड़ रुपये के 3150 क्लेम निरस्त किए गए हैं। अस्पतालों पर 1.75 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
यह है बिल भुगतान की प्रक्रिया
मरीज के भर्ती होने पर सबसे पहले अस्पताल को संबंधित उपचार के लिए प्राधिकरण की ओर से अनुबंधित इंप्लीमेंट सपोर्ट एजेंसी से स्वीकृति लेनी होती है। उपचार के बाद क्लेम एजेंसी के पास जाता है। एजेंसी का काम पूरा होने के बाद डेली क्विक आडिट सिस्टम के तहत क्लेम की गहन समीक्षा की जाती है। इसमें डेटा एनालिटिक्स की मदद ली जाती है। गड़बड़ी पकड़ में आने या आशंका होने पर अलग से भी मामले की जांच कराई जाती है।
ऊधमसिंह नगर के अस्पताल सबसे आगे
आयुष्मान योजना में सबसे अधिक गड़बड़ियां ऊधमसिंह नगर जिले में पकड़ी गई हैं। क्लेम में फर्जीवाड़े के चलते जिन 29 अस्पताल की संबद्धता निरस्त की गई है, उनमें 15 ऊधमसिंह नगर के हैं। फर्जीवाड़े में दूसरा नंबर देहरादून और तीसरा नंबर हरिद्वार जिले के अस्पतालों का है।
ऐसे की गड़बड़ी
- पैथोलाजी व अन्य रिपोर्ट सामान्य होने पर भी मरीज को आइसीयू में भर्ती किया।
- मरीज को आइसीयू से सीधा डिस्चार्ज दिखाया गया। आमतौर पर आइसीयू के बाद मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया जाता है, वहां उपचार के बाद ही उसे डिस्चार्ज करने की स्थिति बनती है।
- फर्जी पैथोलाजी रिपोर्ट लगा कर क्लेम प्रस्तुत किया गया।
- ऐसे मरीजों को भर्ती दिखाया, जिन्हें ओपीडी से ही दवा देकर भेजा जा सकता है।
फर्जीवाड़ा करने वाले 29 अस्पतालों को आयुष्मान योजना से बाहर किया गया है। इसके अलावा 20 अस्पताल निष्क्रियता के चलते बाहर किए गए हैं। क्लेम अदायगी के लिए राज्य में पुख्ता व्यवस्था है और इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी।
डीके कोटिया, अध्यक्ष, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण
मध्य प्रदेश में 120 निजी अस्पतालों ने लिया 200 करोड़ का फर्जी क्लेम
बीते दिनों मध्य प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत 200 करोड़ रुपये का फर्जी क्लेम लेने का मामला सामने आया था। इसमें 120 निजी अस्पताल संलिप्त पाए गए थे। जांच में यह भी सामने आया है कि वहां अस्पतालों को भुगतान करने में कमीशन का भी जमकर खेल हुआ।