विधानसभा स्पीकर के एक्शन से पहले राजकुमार ने छोड़ी विधायिका

विधानसभा स्पीकर के एक्शन से पहले राजकुमार ने छोड़ी विधायिका

देहरादून। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पुरोला विधायक राजकुमार ने आज उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को विधायक पद से अपना त्यागपत्र सौंपा।
विधानसभा परिसर, देहरादून में विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय कक्ष में विधायक राजकुमार ने अपने विधायक पद से विधिवत रूप से त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा। जिसे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया। विधायक राजकुमार पर दल-बदल विरोधी कानून की तलवार लटक गई थी। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने विधायक राजकुमार की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने व उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की याचिका विधानसभा सचिवालय में प्रस्तुत की थी। विधानसभा अध्यक्ष दल-बदल कानून के तहत उनकी विधायिका सदस्यता समाप्त करते, इससे पहले ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।

उल्लेखनीय है कि पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार और धनोल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने हाल में दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। तब से इन विधायकों की विधानसभा सदस्यता को लेकर संशय गहराने लगा था। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तो इस प्रकरण को तूल देने के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायक राजकुमार के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए विधानसभा के प्रभारी सचिव को याचिका सौंप दी थी। याचिका में विधायक राजकुमार की सदस्यता समाप्त करने और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया गया था। विधायक राजकुमार से पहले धनौल्टी विधानसभा से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार भाजपा में शामिल हुए। क्योंकि प्रीतम पंवार निर्दलीय विधायक हैं, इसलिए उनकी विधानसभा सदस्यता को ज्यादा खतरा नहीं है और न ही उनकी सदस्यता समाप्त करने के संबंध में विधानसभा सचिवालय को कोई याचिका प्रस्तुत की गई है। पुरोला विधायक राजकुमार की विधानसभा सदस्यता जाना तय था। विधानसभा स्पीकर उनकी सदस्यता समाप्त समाप्त करने की कार्रवाई करने ही वाले थे कि राजकुमार विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। दल-बदल विरोधी कानून के तहत किसी दल के निर्वाचित सदस्यों में से दो तिहाई से कम सदस्य यदि किसी दल में शामिल होते हैं या अलग दल बनाते हैं तो वे अयोग्य घोषित हो जाएंगे। राज्य में पहले भी 9 विधायकों की दल-बदल विरोधी कानून के तहत सदस्यता समाप्त हो चुकी है। मार्च 2016 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ विधायकों ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर तत्कालीन हरीश रावत सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया था। ये विधायक इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। तब विधानसभा अध्यक्ष ने दल बदल कानून के तहत इन नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी।

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