I2U2 के पहले शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी

I2U2 के पहले शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी

भारत, इस्राइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका के नए ताकतवर समूह आइ2 यू2 का पहला शिखर सम्मेलन 14 जुलाई को होगा। यह सम्मेलन ऑनलाइन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी के अलावा, इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, इस्राइली पीएम नफ्ताली बेनेट और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान वर्चुअली शामिल होंगे। ‘आई2यू2’ में आई का मतलब इंडिया और इस्राइल से है। वहीं यू का मतलब यूएई व यूएस(अमेरिका) से है।

I2U2 में क्या होगा? 
I2U2 के गठन के समय, अमेरिकी अधिकारी ने बताया था कि ‘हमारे कुछ साझीदार मध्य-पूर्व से परे भी हैं। इस साझीदारी को हम आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्रपति बाइडन I2U2 देशों के प्रमुखों के साथ वर्चुअल सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान खाद्य सुरक्षा संकट और सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर बात करेंगे। दरअसल, भारत बेहद बड़ा बाजार है। वह हाईटेक और सबसे ज्यादा मांग वाले उत्पादों का भी बड़ा उत्पादक है। ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं, जहां ये देश मिलकर काम कर सकते हैं। फिर वह तकनीक, कारोबार, पर्यावरण, कोविड-19 और सुरक्षा ही क्यों न हो।

क्वाड व ब्रिक्स के बाद भारत आई2यू2 में भी अहम देश
एक ओर चीन एशिया में प्रभुत्व बढ़ाने के लिए पड़ोसियों पर दबदबा बना रहा है, वहीं भारत भी रणनीतिक रूप से मजबूत हो रहा है। इसी के तहत क्वाड और ब्रिक्स के बाद भारत आई2यू2 में अहम देश बन गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत को क्वाड में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का सहयोग प्राप्त है तो दूसरी तरफ ब्रिक्स में चीन, रूस और ब्राजील जैसे देशों के संगठन में भी अहम माना जा रहा है।

चीन क्यों घबरा रहा? 
जब अक्टूबर 2021 में पहली बार भारत, इस्राइल, यूएस और यूएई के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उस वक्त इस बैठक का बड़ा मुद्दा इस्राइल और यूएई के बीच संबंधों को सामान्य बनाना भी था। भारत में यूएई के राजदूत ने उस वक्त इस नए गुट को ‘पश्चिमी एशिया का क्वॉड’ बताया था।

विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल कहते हैं, ‘इस समूह के अंतर्गत समुद्री सुरक्षा के मसलों पर भी बातचीत होगी। साथ ही, भारत, इस्राइल, यूएई और अमेरिका काफी करीब आएंगे। इससे चीन घबराया हुआ है।’

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