लाखों रुपये में UKSSSC पेपर खरीदने के बावजूद कई फेल, STF जांच में खुलेंगे कई राज

लाखों रुपये में UKSSSC पेपर खरीदने के बावजूद कई फेल, STF जांच में खुलेंगे कई राज

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC)  स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें युवाओं ने लाखों रुपए में पेपर तो खरीद लिया, लेकिन परीक्षा में फिर भी फेल हो गए। ऐसे युवा अब एसटीएफ जांच के दायरे में भी आ सकते हैं।

इस बार भर्ती माफिया ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि प्रश्न पत्र कम से कम लोगों के हाथों में पहुंचे। ताकि पोल खुलने पर सबूत हाथ न लगे। इसके लिए पेपर खरीदने वालों को चुनिंदा जगहों पर बैठाकर, उन्हें उत्तर रटवाए गए, लेकिन इसमें कम समय मिलने के कारण कई लोग परीक्षा हाल में उत्तर भूल गए।

कुछ ओएमआर शीट पर गलत क्रमांक पर टिक लगा बैठे। इसकी पोल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान आयोग में खुल चुकी थी। आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस राजू ने बताया कि तब संदेह के आधार पर कई युवाओं से पूछे गए पांच सवाल बताने को कहा गया। इसमें कई ऐसे थे जिन्हें उत्तर तो याद थे, लेकिन प्रश्न क्या था यह सही से याद नहीं था।इस मामले में गिरफ्तार हाकम का करीबी एक अन्य आरोपी की पत्नी भी एडवांस में प्रश्नपत्र हासिल करने के बाजवूद, इसी कारण फेल हो गई थी। ऐसे कई और युवा भी हैं, जिनकी रकम तो डूबी ही, अब वो पुलिस जांच के दायरे में भी आ सकते हैं।

2016 की भर्ती से चल रहा है गिरोह
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तीन- तीन परीक्षाओं में पेपर आउट किए जाने का मामला सामने आने के बाद, पुलिस को इस गिरोह की जड़े गहरी होने के पुख्ता संकेत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार उक्त गिरोह आयोग बनने के बाद 2016 में आयोजित पहली बड़ी परीक्षा वीपीडीओ के दौरान ही बन गया था। लेकिन इस मामले में निर्णायक कार्यवाही नहीं होने से गिरोह वर्तमान तक सक्रिय बना रहा।

आयोग की पहली खुली गड़बड़ी 2016 की वीपीडीओ भर्ती में सामने आई थी। तब तत्कालीन अपर मुख्य सचिव स्तर से जांच में कराई गई, जिसके आधार पर परीक्षा निरस्त कर दोबारा कराई गई थी। साथ ही निरस्त परीक्षा में हुई गड़बड़ी की विजिलेंस जांच के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस प्रकरण में विजिलेंस जांच खास प्रगति नहीं कर पाई। इस कारण परीक्षा लीक आउट के मास्टर माइंड अब तक सुरक्षित हैं।

पुलिस को 2019 फॉरेस्टगार्ड भर्ती नकल से लेकर, वर्तमान में स्नातक स्तरीय भर्ती, सचिवालय सुरक्षा संवर्ग और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियल) मामले में इसी गिरोह के दखल का अंदेशा है। अब तक गिरफ्तार आरोपित ज्यादातर ग्राउंड ऑपरेटर की ही भूमिका में थे। डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक इस मामले में अब जड़ तक जाकर, माफिया का सफाया किया जाएगा।

News Desh Duniya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *