होलिका दहन कर लगाए भक्त प्रह्लाद के जयकारे

रुड़की में होलिका स्थल पर पूजन के बाद होलिका दहन किया गया। एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। दिन भर अलग-अलग मोहल्लों में महिलाएं परिवार के साथ पूजन के लिए पहुंचती रहीं।
शहर के विभिन्न मोहल्लों में होलिका बनाई गई थी। महिलाओं ने होलिका स्थल पर पहुंचकर परंपरा के अनुसार पूजन किया। रोली, नारियल, बताशे, मौसमी फल, गुझिया, अनाज की बालियां, धूप, दीप आदि अर्पण किया। कच्चा सूत लपेटकर जल चढ़ाते हुए होलिका की परिक्रमा की। गोबर के उपलों की माला भी चढ़ाई गई। इसके बाद शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया। धार्मिक मान्यता है कि होलिका ने भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर जलाने का प्रयास किया। लेकिन वह खुद भस्म हो गई। इसके अलावा काम देव के शिव की तपस्या भंग करने के बाद शिव के तीसरे नेत्र के खुलने पर कामदेव के जलकर भस्म होने की भी मान्यता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। इससे पहले होलिका स्थल पर डीजे आदि लगाए गए थे। जिसमें होली के गीतों पर बच्चे झूमते रहे। शाम को होलिका दहन किया गया और भक्त प्रह्लाद के जयकारे लगाए गए। होलिका स्थलों पर पुलिस भी लगातार गश्त करती रही। होलिका दहन के बाद अब शुक्रवार को लोग होलिका की राख घर लाएंगे। भक्तों की मान्यता है कि इससे घर में सुख, समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। इसके साथ ही शुक्रवार को फाग के रंग बिखरेंगे।