टाइगर सफारी निर्माण में फंस सकती है कई अफसरों की गर्दन, नोटिस जारी होने से मची खलबली
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज में टाइगर सफारी निर्माण में वन विभाग के कई अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है। दो महीने पहले स्थलीय निरीक्षण कर चुकी केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की टीम की रिपोर्ट पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव को नोटिस जारी हुआ तो खलबली मची।
मुख्य सचिव के निर्देश पर विभाग ने तीन अफसरों को नोटिस देकर 15 दिनों में जवाब मांगा है लेकिन जांच शुरू नहीं की गई है। माना जा रहा है कि जांच मेें कई बड़े अफसर फंस सकते हैं। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने इस मामले को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 55(एए) के तहत संज्ञान में लिया। गुज्जर स्रोत, पाखरो ब्लॉक, सोनानदी रेंज, कालागढ़ डिवीजन, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी निर्माण में बरती गई अनियमितता के संबंध में नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि निर्माण में निर्धारित शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया।
उत्तराखंड शासन को जारी नोटिस में सीजेडए ने साफ तौर पर कहा कि सफारी के अंतिम मास्टर ले-आउट प्लान को न तो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमोदित कराया गया और न ही वहां बनने वाले बाघ बाड़ों के विशेष डिजाइन की अनुमति ली गई। इस पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डॉ. पराग मधुकर धकाते की ओर से तत्कालिन कॉर्बेट पार्क निदेशक राहुल, टाइगर सफारी निर्माण से जुड़े रहे तत्कालिन डीएफओ किशन चंद और अखिलेश तिवारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
डिजाइन में थी खामियां
सीजेडए ने 27 अगस्त 2021 को उत्तराखंड वन विभाग से जवाब मांगा था। 13 सितंबर 2021 को कॉर्बेट के तत्कालिक निदेशक ने टाइगर सफारी में बाड़े के चित्र पेश किए। सीजेडए ने बाड़े के डिजाइन पर पुन: प्रस्ताव देने को कहा। इस पर निदेशक, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने 24 जनवरी 2022 को पत्र भेजकर स्वीकारा था कि पहले प्रस्तुत किया गया डिजाइन त्रुटिपूर्ण था।