उच्‍च हिमालय में स्थित है यूनेस्‍को की विश्‍व धरोहर, जहां हर 15 दिन में रंग बदलते हैं फूल, किसी को नहीं रात में रुकने की अनुमति

उच्‍च हिमालय में स्थित है यूनेस्‍को की विश्‍व धरोहर, जहां हर 15 दिन में रंग बदलते हैं फूल, किसी को नहीं रात में रुकने की अनुमति

उत्तराखंड के चमोली जिले में तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर, फूलों की घाटी स्थित है। फूलों की घाटी में शीतकाल में बर्फ की चादर से ढका रहता है।

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल ‘फूलों की घाटी’ पर्यटकों के लिए खोल दी गई है, इसे 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। फूलों की घाटी 87.50 वर्ग किमी के विस्तार में फैली हुई है। फूलों की घाटी हर वर्ष एक जून को खुलती है, तथा 31 अक्टूबर को बंद की जाती है।यह एक उत्साही ब्रिटिश पर्वतारोही और एक वनस्पतिशास्त्री, फ्रैंक एस स्मिथ द्वारा एक आकस्मिक खोज थी, जब वह 1931 में कामेट पर्वत आरोहण के दौरान रास्ता भटक जाने से इस क्षेत्र से गुजरे। यहां से अपने वतन वापसी के बाद उन्होंने वैली आफ फ्लावर नामक पुस्तक में अनुभवों का जिक्र किया तो देश दुनिया ने प्रकृति के इस अनोखे तोहफे को संसार को जाना।

घाटी आज 5000 से अधिक फूलों की प्रजातियों का घर है, जिसमें ब्रह्मकमल शामिल हैं जो कि उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है। अन्य किस्मों में ब्लू पोस्पी शामिल हैं, जिन्हें फूलों की रानी ब्लूबेल, प्रिमुला, पोटेंटिला, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पोपी, डेल्फीनियम और रैनुनकुलस के रूप में वर्णित किया गया है।

इस क्षेत्र में तेंदुए, कस्तूरी मृग और नीली भेड़ जैसी प्रजातियों के साथ एक समृद्ध जीव विविधता भी है। यहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है, यह ट्रेकर्स के लिए एक स्वर्ग है। पार्क प्रशासन को इस साल फूलों की घाटी में अधिक पर्यटकों की पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखने के लिए भारतीय पर्यटकों को 150 और विदेशी पर्यटकों को 600 का शुल्क देना होता है। घाटी में 17 किमी लंबा ट्रेक है जो 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

खास बात तो यह है कि घाटी में हर पन्द्रह दिनों में अलग रंगों के फूल नजर आते हैं। फूलों की इस प्राकृतिक घाटी को देखकर पर्यटक मानो कभी न भुलाए जाने वाले इन क्षणों में खोकर रह जाता है।

फूलों की घाटी में रात्रि विश्राम के लिए किसी को भी अनुमति नहीं है। घाटी का दीदार कर पर्यटकों को दोपहर के बाद लौटना पड़ता है। फूलों की घाटी का बेस कैंप घांघरिया है। यहां से तीन किलोमीटर पैदल चलकर फूलों की घाटी पहुंचा जाता है।

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