नायब सूबेदार पिता की कुमाऊं रेजिमेंट में अफसर बनेगा बेटा, परेड की संभाली कमान और मिला गोल्ड मेडल
आईएमए की पासिंग आउट परेड की कमान इस बार उत्तराखंड के नीरज सिंह पपोला ने संभाली। उनके नेतृत्व में जेंटलमैन कैडेटों ने शानदार परेड दिखाई। प्रशिक्षण के दौरान बेस्ट कैडेट रहे नीरज को गोल्ड मेडल सम्मान से नवाजा गया। दिलचस्प बात यह है कि लेफ्टिनेंट नीरज अपने पिता की कुमाऊं रेजिमेंट में बतौर अधिकारी सेना में अपनी भूमिका निभाएंगे।नीरज सिंह पपोला का परिवार दिनेशपुर ऊधमसिंह नगर में रहता है। मूलरूप से कपकोट बागेश्वर के रहने वाले हैं। उनके पिता गोविंद सिंह सातवीं कुमाऊं रेजिमेंट में नायब सूबेदार हैं। मां खस्टी पपोला गृहणी हैं। बहन गुंजन भीमताल से ग्रेजुएशन कर रही हैं। बचपन में जहां-जहां फौजी पिता की पोस्टिंग रही, वहां परिवार भी साथ रहा। नीरज की पांचवीं तक की पढ़ाई एपीएस धौलाकुआं दिल्ली और बरेली में हुई। छठी कक्षा से सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए चयनित हुए, जहां उनके इरादों को मजबूती मिली। नीरज ने बताया कि सेना में अफसर बनने की पहली प्रेरणा उन्हें पापा से मिली। घर में तो सैन्य परिवेश था ही, स्कूल में भी यह माहौल बरकरार रहा। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में उनके सीनियर जब एनडीए में चयनित होते थे तो हौसला बढ़ता था। शिक्षकों का मार्गदर्शन भी अहम रहा। 12वीं के बाद एनडीए में चयनित हुए। तीन साल के प्रशिक्षण के बाद पिछले साल आईएमए पहुंचे, जहां से पासआउट होकर सेना में लेफ्टिनेंट बने। कोर्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वह कहते हैं आईएमए पीओपी की कमान संभावना और गोल्ड मेडल मिलना उनके परिजनों और उनके लिए यह गौरवपूर्ण पल रहा। वह सामान्य परिवार के हैं। दादा गोपाल सिंह ने गांव के मुश्किल जीवन में मेहनत कर अपनी पीढ़ी को कामयाबी तक पहुंचाया है। युवाओं को संदेश देते हुए नीरज कहते हैं कि जो भी करो अच्छा कीजिए। अपना प्रोफेशन चुनिए और उसमें शुरुआत से ही बेस्ट दीजिए।