उत्तराखंड रोडवेज बसों काे है हादसे का इंतजार! पुराने रबर चढ़े टायरों के सहारे चली रहीं हैं बसें

उत्तराखंड रोडवेज बसों काे है हादसे का इंतजार! पुराने रबर चढ़े टायरों के सहारे चली रहीं हैं बसें

उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttrakhand Roadways) के काठगोदाम परिक्षेत्र में पिछले एक माह से टायरों का संकट बना हुआ है। स्थानीय अधिकारी टेंडर खत्म होने की वजह नए टायरों की सप्लाई नहीं होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में पुराने टायरों पर रबर चढ़ाकर बसों को संचालित किया जा रहा है।

साथ ही कट लगे टायरों के सहारे भी बसें रूट पर भेजी जा रही हैं। ऐसे में किसी बड़ी दुर्घटना की आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन निगम प्रबंधन का ध्यान कमाई पर है और यात्रियों की जान खतरे में डालकर सफर करवाया जा रहा है। रोडवेज काठगोदाम परिक्षेत्र में 8 डिपो आते हैं। यहां बेड़े में निगम की कुल 373 बसें है।

हल्द्वानी और काठगोदाम डिपो संचालन के लिहाज से अहम है। लेकिन इन दोनों प्रमुख डिपो में नए टायर न होने की वजह से बसों को संचालित करने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। जानकारी के अनुसार हर महीने काठगोदाम परिक्षेत्र में 150 से ज्यादा नए टायरों की जरूरत होती है और सबसे ज्यादा नए टायर हल्द्वानी और काठगोदाम डिपो के लिए ही चाहिए होते हैं।

लेकिन टायरों के संकट से चलते जोखिम उठाकर डिपो प्रबंधन जैसे-तैसे बसों को संचालित कर रहा है। इधर, अधिकारियों पर निगम मुख्यालय से ज्यादा कमाई करने का दबाव भी है।

काठगोदाम परिक्षेत्र की 14 बसें रद: टायरों के संकट का असर बसों के संचालन पर भी पड़ रहा है। शुक्रवार को टायरों की कमी व अन्य समस्याओं के चलते रोडवेज काठगोदाम परिक्षेत्र की 14 बसों को रद करना पड़ा था। सूत्रों के अनुसार हल्द्वानी की 4, काठगोदाम की 4, रामनगर की 3, अल्मोड़ा, रुद्रपुर और रानीखेत डिपो की 2-2 बसें रद की गई थीं।

नैनीताल भेजने के लिए बरेली की बसें रद कीं
हल्द्वानी रोडवेज स्टेशन पर शनिवार को नैनीताल जाने वाले यात्रियों की काफी भीड़ थी। सुबह से ही स्टेशन पर काफी संख्या में यात्री मौजूद थे। लेकिन हल्द्वानी डिपो के पास बसों की संख्या कम होने की वजह से स्टेशन प्रबंधन को अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करने में दिक्कत हुई। ऐसे में बरेली की दो बसें रद कर नैनीताल भेजी गईं। वहीं दिनभर नैनीताल रूट के लिए यात्रियों का तांता लगा रहा। बसों का इंतजाम न होने की वजह से यात्रियों को करीब एक घंटे तक धूप में खड़ा होना पड़ा।टेंडर खत्म होने की वजह से नए टायर नहीं मिल रहे हैं, लेकिन मुख्यालय स्तर पर इसे लेकर कार्रवाई चल रही है। हालांकि व्यवस्था बनाई जा रही है। टायर की समस्या से बसें खड़ी नहीं हो रही हैं।

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