सरेंडर करने से पहले जितेंद्र त्यागी ने जताया जान का खतरा, कहा- हो सकता है फिदायीन हमला
हरिद्वार में घृणा भाषण देने के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने दावा किया है कि उनकी जिंदगी खतरे में हैं और उन्हें आत्मघाती हमले में मारा जा सकता है। त्यागी को फिलहाल उच्चतम न्यायालय से आत्मसमर्पण के लिए दो सितंबर तक का समय मिला हुआ है।
हिंदू धर्म स्वीकार करके जितेंद्र नारायण त्यागी बने आरोपी ने बुधवार को कहा कि जब वह जेल में थे तो हरिद्वार के ज्वालापुर के कुछ बदमाशों की उनका ‘सर कलम करने’ की योजना बनाई थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि कारागर के सख्त नियमों की वजह से बदमाश सफल नहीं हो पाए।
त्यागी ने कहा कि उन्हें अपने जीवन पर मंडरा रहे खतरे की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सनातन धर्म में विश्वास करते हैं और अपनी अंतिम सांस तक उसके लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से अधिक आजादी है इसलिए उनका जब भी मन करे, वे हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ बोल सकते हैं जबकि उनकी धार्मिक पुस्तकों के बारे में हमारे संकेतों को भी घृणा भाषण बता दिया जाता है।
अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए त्यागी ने कहा कि उनपर निराधार आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, ”मैं मुल्लों की साजिश का पीड़ित हूं। खैर यह कानून है। अगर मेरे खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं तो मुझे उनका जवाब देना होगा।” अधिकारियों के सामने जल्द समर्पण करने का संकेत देते हुए त्यागी ने कहा कि वह फिर जेल जा रहे हैं।
सनातन धर्म अपनाने को ‘घर वापसी’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में लौटने पर उन्हें कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होंने कहा, ”मैं सनातन धर्म में हूं और अपनी आखिरी सांस तक उसी में रहूंगा।” हालांकि, उन्होंने अफसोस जताया कि उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं किया गया जैसे लंबे समय से खो गए एक रिश्तेदार के घर लौटने पर किया जाता है।
हिन्दुओं जाति विभाजन को उनकी कमजोरी बताते हुए त्यागी ने कहा कि ‘इस्लामिक जेहाद’ या आतंकवाद से तब तक नहीं लड़ा जा सकता जब तक कि सनातम धर्म में विश्वास रखने वाले लोग एक न हो जाएं। त्यागी ने कहा कि भारत की बेटियों को अफगानिस्तान ले जाया गया और ‘दुखतरन-ए-हिंद’ नाम के चौराहे पर सामान की तरह बेच दिया गया लेकिन हिंदुओं में विभाजन ने उन्हें इस अत्याचार के खिलाफ बोलने नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ”धर्मनिरपेक्षता का मतलब अत्याचारों को चुपचाप सहना नहीं है।” त्यागी ने कहा कि वह अवसाद में हैं और उनके जीवन के बारे में कोई निश्चितता नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवन में क्या पाया और क्या खोया, इसके बारे में एक किताब लिखी है जो शायद तब प्रकाशित हो, जब वह इस दुनिया में न रहें।