Ankita Murder Case : पिता ने बताया कैसे आरोपितों ने की मामला दबाने की कोशिश, पटवारी ने ढाई घंटे कराया था इंतजार
अंकिता हत्याकांड से उत्तराखंड के गम और गुस्सा है लेकिन इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पीड़ितपरिवार के प्रति संवेदनहीन रवैया अपना रहे हैं। वह अंकिता के स्वजनों पर पैसे लेकर अंतिम संस्कार करने का आरोप लगा रहे हैं। इससे अंकिता पिता वीरेन्द्र सिंह भंडारी आहत हैं।
बता दें कि अंकिता का शव 24 सितंबर को चीला नहर से बरामद हुआ था। पोस्टमार्टम के बाद शव को स्वजनों को शाम को सौंपा गया था। जिसके बाद रविवार की सुबह अंकिता के शव का अंतिम संस्कार किया जाना था। लेकिन स्वजनों ने आरोपितों को सजा दिलाने की मांग करते हुए अंतिम संस्कार से मना कर दिया। करीब साढ़े 8 घंटे चले प्रदर्शन के बाद देर शाम अंकिता का अंतिम संस्कार किया गया।
‘मैंने किसी से कोई पैसे नहीं लिए’
- अंकिता की पिता वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि लोग कह रहे मैंने पैसे लेकर अंकिता का अंतिम संस्कार होने दिया। मेरी बेटी दुनिया से चली गई, मैं उसकी कसम खाता हूं, मैंने किसी से कोई पैसे नहीं लिए।
- उन्होंने बताया कि अंकिता बहुत मेहनती थी और हमेशा आगे बढ़ने के सपने देखती थी। गांव में कोई भी बता देगा कि अंकिता अंकिता कैसी लड़की थी? वीरेंद्र सिंह बेटी की हत्या से बेहद दुखी हैं और वह चाहते हैं कि तीनों आरोपितो पुलकित आर्या, अंकित और सौरभ को फास्ट ट्रैक कोर्ट से फांसी की सजा मिले।
- वनन्तरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या का आरोप रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजरों पर है। अंकिता के पिता का कहना है कि प्रशासन ने कोई दबाव नहीं बनाया। अंकिता का अंतिम संस्कार मेरी मर्जी से हुआ। शव को 5-6 दिन हो गए थे और दुर्गंध आ रही थी। इसलिए अंतिम संस्कार कर दिया।
- आगे उन्होंने बताया कि 18 सितंबर को मैंने अंकिता को फोन किया लेकिन उसका नंबर नहीं लगा। फिर एक लड़के का फोन आया कि आपकी लड़की रिसॉर्ट में नहीं है। 19 तारीख को दोबारा फोन आया कि अंकिता सुबह पता नहीं कहां चली गई। अंकिता को फोन भी बंद आ रहा था।
- रिसॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य और मैनेजर सौरभ भास्कर मुझे पटवारी चौकी पर मिले थे और मुझ पर दबाव बना रहे थे। लेकिन पटवारी ने मेरी रिपोर्ट नहीं लिखी। वह 20 सितंबर को छुट्टी पर चला गया।
- मैं 20 सितंबर को दोबारा शिकायत दर्ज करवाने गया तो वहां पहले से रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, पुलकित की पत्नी और पिता विनोद आर्य मौजूद थे। वो सभी चौकी के अंदर बैठे हुए थे। मुझसे रुकने के लिए कहा गया। मैं करीब ढाई घंटे तब बाहर इंतजार करते रहा, लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया।
- वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि उन्हें गुस्सा आया और वह सीधे अंदर घुस गए। तब उन्हें बुलाया। पूछा कि क्या काम है। उन्होंने कहा कि मैं अंकिता भंडारी का पिता हूं, कम्प्लेंट दर्ज करवाने आया हूं। इस पर पटवारी विवेक कुमार ने कहा कि आपकी कम्प्लेंट नहीं लिखेंगे ये पहले आए हैं, इसलिए इनकी रिपोर्ट लिखेंगे। इसके बाद उनकी बहस भी हुई। मैंने कहा मुझे तीन लोगों पर शक है। इनके खिलाफ एप्लिकेशन दे रहा हूं।
- पुलकित ने कहा कि आप रिसॉर्ट में जाकर सीसीटीवी देखिए। इसके बाद हम रिसॉर्ट पहुंचे, पटवारी भी हमारे साथ था। लेकिन रिसॉर्ट पहुंचकर पुलकित बोला कि सीसीटीवी तीन महीने से खराब है। तब मुझे पटवारी और आरोपितों पर शक होने लगा। तो स्टाफ को बुलाकर पूछताछ की गई और उनकी रिकॉर्डिंग भी कर ली। इसके बाद चारों के चेहरे उतर गए।
- तब पटवारी बोला कि मैं रिपोर्ट कोटा भेजूंगा। फिर ये रिपोर्ट पौड़ी आएगी। तब मैंने सोहन सिंह रावत को फोन किया। जो कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रह चुके थे। उन्होंने पटवारी को फोन किया और कम्प्लेंट दर्ज न करने के बारे में पूछा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को फोन किया। उन्होंने डीएम और एसपी से बात की। इसके बाद केस ट्रांसफर हो गया।
बता दें कि 18 सितंबर को अंकिता की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद पुलिकत आर्या, सौरभ और अंकित को अंकिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।