फाइलों में घूम रही भर्ती की सेवा नियमावली, हाईकोर्ट की अनुमति के बाद नहीं बन पाए नियम

फाइलों में घूम रही भर्ती की सेवा नियमावली, हाईकोर्ट की अनुमति के बाद नहीं बन पाए नियम

स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग में नर्सिंग भर्ती के लिए सेवा नियमावली शासन स्तर पर फाइलों में घूम रही है। कैबिनेट के निर्णय और हाईकोर्ट की अनुमति मिलने के बाद नियमावली में वर्षवार मेरिट पर भर्ती करने का प्रावधान नहीं हो पाया है। नियमावली में संशोधन की फाइल कभी वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग में इधर से उधर हो रही है, जबकि नर्सिंग कोर्स करने वाले युवा शासन से नियमावली का शासनादेश होने का इंतजार कर रहे हैं।

प्रदेश में 2011 के बाद से नर्सिंग भर्ती नहीं हुई है। जिस कारण सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ नर्सों की कमी है। वर्ष 2019 में सरकार ने पहली बार नर्सिंग भर्ती की सेवा नियमावली बनाई थी। जिसमें नर्सिंग भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान किया था।

इस नियमावली से दिसंबर 2020 में सरकार ने उत्तराखंड प्राविधिक परिषद के माध्यम से 2621 पदों की भर्ती निकाली। जिसमें लगभग 10 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। संविदा बेरोजगार नर्सों के विरोध के बाद सरकार ने भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम कराने का निर्णय लिया।

फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग के पास घूम रही

27 जुलाई 2020 को कैबिनेट में नर्सिंग भर्ती वर्षवार करने का निर्णय लिया गया। 21 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने सरकार को नर्सिंग नियमावली में संशोधन की अनुमति दी। कैबिनेट के निर्णय और हाईकोर्ट की अनुमति पर भी शासन में नियमावली की फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग के पास घूम रही है।

नर्सिंग भर्ती नियमावली को जल्द लागू की जाएगी। वित्त और नियमावली प्रकोष्ठ से संशोधन की सहमति मिल गई है। फाइल वित्त मंत्री के अनुमोदन को भेजी गई है।
– डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य
चार माह पहले कैबिनेट ने नर्सिंग पदों पर वर्षवार नियुक्ति करने का फैसला लिया था। साथ ही हाईकोर्ट ने भी संशोधन की अनुमति दे दी है। कोर्ट के आदेश के एक माह बाद भी शासन अभी तक नियमावली का शासनादेश जारी नहीं कर पाया है। संविदा बेरोजगार नर्सेज शासनादेश की मांग को लेकर 127 दिनों से लगातार धरना दे रही है।

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