उद्योगों को मिल सकती है राहत, EPR रजिस्ट्रेशन की बाध्यता जल्द होगी खत्म, बनी सहमति
उत्तराखंड के लघु और सूक्ष्म उद्योगों को एक्सटेंडेड प्रोड्यूशर्स रिस्पोंसबिलिटी (ईपीआर) के रजिस्ट्रेशन की बाध्यता से जल्द राहत मिल सकती है। लघु उद्योग भारती संगठन के पदाधिकारियों के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस पर सहमति बन गई है। संगठन के अनुसार मंत्रालय की ओर से इस संबंध में जल्द दिशा-निर्देश जारी हो जाएंगे।लघु उद्योग भारती के प्रदेश महामंत्री विजय सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2016 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम बना था। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को इस एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया था। केवल बड़े उद्योगों को रजिस्ट्रेशन कराना था, लेकिन एक्ट की सही तरीके से व्याख्या न होने से सभी पर इस एक्ट को लागू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी पर्यावरण भवन में हुई बैठक में प्लास्टिक पैकेजिंग आधारित इकाइयों के सामने आ रही समस्या को उठाया गया।
उद्यमियों की समस्याएं सुनने के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत प्लास्टिक पैकेजिंग वाली इकाइयों को ईपीआर से राहत दी है। तोमर ने बताया कि जो इकाइयां पैकेजिंग वेस्ट प्लास्टिक को रिसाइकिल नहीं करती, उनके रजिस्ट्रेशन के लिए भी अलग से नया विकल्प जोड़ा जाएगा। प्रदेश महामंत्री ने बताया कि ईपीआर सर्टिफिकेशन को टैक्स दायरे में लाकर भविष्य की विसंगतियों को रोकने पर सहमति बनी।
अधिकारियों ने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के अनुपालन के संबंध में किसी भी परेशानी एवं स्पष्टीकरण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हेल्पलाइन जारी करेगा। बैठक में लघु उद्योग भारती के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नागपाल और उत्तराखंड से वरुण मित्तल, मुकेश अग्रवाल समेत कई उद्यमी मौजूद रहे।