उत्तराखंड में पर्यटन…नए साल के लिए बना नया रोडमैप

उत्तराखंड में पर्यटन…नए साल के लिए बना नया रोडमैप

वर्ष 2022 पर्यटन कारोबार के लिए खुशियों भरा साबित हुआ है। कोविड महामारी के कारण बंद पड़े पर्यटन उद्योग को चारधाम यात्रा और कांवड़ मेले ने फिर से पटरी पर लौटा दिया। उत्तराखंड में आर्थिक चुनौतियों को सामना कर रहे पर्यटन क्षेत्र आगे बढ़ा है। चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार तीर्थयात्रियों का रिकॉर्ड बना है। अब नए साल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नया रोडमैप बनाया गया है।

एस्ट्रो और एयरो पर्यटन पर चल रहा काम
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार एस्ट्रो व एयरो टूरिज्म पर काम रही है। एस्ट्रो टूरिज्म के लिए चमोली जिले के बेनीताल और नैनीताल जिले के ताकुला को एस्ट्रो विलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। जहां पर पर्यटक रात के समय खुले आसमान में तारों को निहार सकेंगे।

केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के रोपवे की रखी आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्तूबर 2022 को बाबा केदार और बदरीनाथ मंदिर में दर्शन कर गौरीकुंड से केदारनाथ 9.7 किमी. लंबे रोपवे और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी. लंबे रोपवे का शिलान्यास किया। इन दोनों रोपवे पर लगभग 2430 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी।

टिहरी झील बनेगी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
केंद्र सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक के वित्तीय सहयोग से टिहरी झील पर्यटन विकास योजना के लिए 1210 करोड़ की स्वीकृति दी है। इस योजना के तहत झील के आसपास के क्षेत्रों में पर्यटकों की सुविधाओं के लिए कार्य किए जाएंगे। इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है। उम्मीद है 2023 में इस पर काम आगे बढ़ेगा।

ईको पर्यटन स्थल होंगे और रोमांचकारी 
ईको पर्यटन के तहत वर्ष 2023 में गर्तागंगली, हर्षिल, चौरासी कुटिया, कार्बेट ट्रैल जैसे पर्यटक स्थलों को और अधिक रोमांचकारी बनाने की योजना है। इसके अलावा केदारनाथ तीर्थस्थल और उसके आसपास संग्रहालय एवं चिंतन स्थल का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।

2023 में पर्यटन क्षेत्र में ये उम्मीदें

– 424 करोड़ से बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान बनेगा।
– केदारनाथ पुनर्निर्माण के दूसरे चरण में 180 करोड़ के कार्य होंगे।
– 285 करोड़ की लागत से दून-मसूरी रोपवे का निर्माण कार्य होगा।
– 167 करोड़ की लागत से खरसाली से यमुनोत्री रोपवे का निर्माण।
– मानसखंड योजना के तहत कुमाऊं क्षेत्र के ऐतिहासिक मंदिरों में सुविधाओं का विकास होगा।
– पिथौरागढ़ के लिए शुरू होगी 20 सीटर एयरक्राफ्ट की सेवा।

पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा
पंजीकृत होटलों की संख्या-       7622
पंजीकृत धर्मशालाओं की संख्या-872
पंजीकृत गेस्ट हाउसों की संख्या-362
पंजीकृत होम स्टे की संख्या-     4000

कॉरपस फंड संग ईको टूरिज्म को देंगे बढ़ावा 

आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ ही वन महकमा विकास के मुद्दों के साथ संतुलन बढ़ाते हुए आगे बढ़ेगा। मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए कॉरपस फंड की स्थापना करना और ईको टूरिज्म के तहत नए जोन का विकास महकमे की शीर्ष प्राथमिकताओं में रहेगा।

संरक्षित एवं आरक्षित क्षेत्रों में स्थित पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिगत दिशा निर्देश संबंधी नियमावली तैयार की जा रही है। मानव-वन्यजीव संघर्ष के न्यूनीकरण के लिए प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव के अधीन एक विशेष शाखा का गठन किया जा रहा है। वहीं, मानव-वन्यजीव संघर्ष और वनाग्नि पर नियंत्रण विभाग की प्रमुखता में है। इसके लिए नए प्रयास किए जा रहे हैं।

बुग्यालों में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना, वन, वन्य जंतु एवं परिवेश की सुरक्षा के लिए आम लोगों खासकर स्कूली बच्चों को प्रेरित करना, फील्ड में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था और राज्य के विकास के लिए वन क्षेत्रों में सड़क, रेलवे लाइन आदि बनाने में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में भी विभाग के स्तर से प्रयास किए जाएंगे। साथ ही स्थानीय समुदायों के सहयोग से ग्राम स्तरीय प्राइमरी रिस्पांस टीमों (पीटीआर) का गठन किया जाएगा।

नए साल में मिलेगी बढ़ी हुई मुआवजा राशि
मानव-वन्यजीव संघर्ष में मृतकों के परिजनों को छह लाख रुपये और घायलों को एक लाख रुपये की राशि मिलने लगेगी। अभी तक यह राशि चार लाख और 50 हजार रुपये मिलती है। इस संबंध में पिछले दिनों राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास हो गया है।

निजी भूमि पर खड़े पेड़ काटना होगा आसान
वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 को सरलीकृत कर वृक्ष के छूट प्रजाति की संख्या बढ़ने का प्रस्ताव वन विभाग की ओर से तैयार किया गया है। इससे लोग अपनी निजी भूमि पर खड़े तमाम प्रजातियों के पेड़ों को आसानी से काट सकेंगे।

पिरूल के उपयोग को देंगे बढ़ावा
पिरूल के उपयोग के लिए विभाग की ओर से नई पहल की जा रही है। इसके तहत 13 प्रस्ताव विभाग को मिल चुके हैं। आगामी वर्ष में पिरूल का और अधिक उपयोग किया जा सके, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य स्तर पर काष्ठ आधारित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नियमों का सरलीकरण किया जाएगा।

कॉरपस फंड की स्थापना, ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विशेष शाखा के गठन, पीटीआर का गठन जैसी योजनाएं विभाग की प्रमुखता में हैं। इसके अलावा विभाग की तमाम योजनाओं से आम जन को जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे।
– विनोद कुमार सिंघल, प्रमुुख वन संरक्षक (हॉफ) वन विभाग

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