यशपाल आर्य की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा संजीव आर्य को ले डूबी
चौबे जी छबे बनने के लिए गए लेकिन दुबे बन गए, यह कहावत कांग्रेस नेता यशपाल आर्य पर सटीक बैठती है। मुख्यमंत्री बनने की महात्वाकांक्षा उनके सुपुत्र संजीव आर्य के भविष्य को ले डूबी। आर्य, पुष्कर सिंह धामी की सरकार में केबिनेट मंत्री के पद पर थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर स्वयं आर्य और उनके सुपुत्र संजीव आर्य 2017 में बाजपुर और नैनीताल विधानसभा सीटों से विधायक बने। संजीव आर्य की राजनीति में यह पहली पारी थी। भाजपा सरकार ने भी उन्हें एक विधायक के बतौर पूरी मदद की।
वर्ष 2016 में आर्य मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत से तंग आकर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा में वह 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने सुपुत्र को भी टिकट दिलाने में कामयाब रहे। भीषण मोदी लहर में दोनों पिता-पुत्र भारी मतों से चुनाव जीते और भाजपा ने आर्य को परिवहन एवं समाज कल्याण जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय से नवाजा। संजीव आर्य तब 7000 से अधिक मतों से जीत कर पहली बार विधानसभा की सीढ़ी चढ़े।