उत्तराखंड : किला अजेय बनाने को बरकरार रखनी होगी जीत की लय
उत्तराखंड में हर पांच साल में सत्ताधारी दल बदलने का मिथक इस बार तोड़ चुकी भाजपा के सामने अब आगे भी ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। कारण ये कि अगले दो वर्ष तक उसे लगातार जनता की अदालत में स्वयं को साबित करना है। विधानसभा चुनाव में परचम फहराने के बाद अब अगले साल होने वाले नगर निकाय, पंचायत और सहकारिता के चुनावों में पार्टी की परीक्षा होनी है। सरकार और संगठन के मध्य बेहतर समन्वय भी बड़ी चुनौती है।
यानी, डेढ़-दो साल के कालखंड में भाजपा को ऐसा कुछ कर दिखाना होगा, जो वर्ष 2024 में राज्य की पांचों लोकसभा सीट पर उसकी जीत की आधारशिला बने। स्पष्ट है कि अपने किले बनाए रखने के लिए प्रांत से लेकर बूथ स्तर तक पार्टी को खासी मशक्कत और मेहनत करनी होगी। इसे देखते हुए विधानसभा चुनाव के दौरान के खट्टे-मीठे अनुभवों के आधार पर पार्टी रणनीति बनाने में जुट गई है, जिस पर आने वाले दिनों में सभी की नजर रहेगी।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से उत्तराखंड में भाजपा विजय रथ पर सवार है। तब से लेकर अब तक के हर छोटे-बड़े चुनाव में पार्टी ने विपक्ष को नेपथ्य में धकेलकर अपनी श्रेष्ठता कायम रखी है। वर्ष 2014 में पार्टी ने राज्य में लोकसभा की पांचों सीटों पर जीत दर्ज की तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उसने 70 में से 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके बाद राज्य में नगर निकाय, पंचायत, सहकारिता के चुनाव में उसने परचम फहराया।