विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपासना का खास दिन, दूर्वा घास चढ़ाने से प्रसन्न होंगे गजानन
विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपासना का खास दिन संकष्टी चतुर्थी कल यानी 19 अप्रैल को है। हर साल ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।आचार्य डा सुशांत राज ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। दिनभर व्रत करने के बाद रात को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत संपन्न होता है।
उदायतिथि के अनुसार 19 मई को चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है। इसलिए चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलें।
चतुर्थी प्रारम्भ – 18 मई को रात 11:36 बजे
चतुर्थी समाप्त – 19 मई को रात 08:23 बजे
पूजा-विधि :
- सबसे पहले नहा कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करें।
- भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें और सिंदूर लगाएं। भगवान गणेश का ध्यान करें।
- इसके बाद भगवान गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं।
- चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें और भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व :धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन करने से घर से सभी नकारात्मक प्रभाव नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। संकष्टी व्रत करने से गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है और सारी बाधाएं दूर होती हैं।