मेरठ से शुरू हुई 1857 की क्रांति, दादरी के युवाओं ने राजा राव उमराव सिंह की अगुवाई में अंग्रेजों के दांत किए खट्टे

मेरठ से शुरू हुई 1857 की क्रांति, दादरी के युवाओं ने राजा राव उमराव सिंह की अगुवाई में अंग्रेजों के दांत किए खट्टे

मेरठ से शुरू हुई 1857 की क्रांति में दादरी क्षेत्र के युवाओं ने राजा राव उमराव सिंह की अगुवाई में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। साथियों की गिरफ्तारियों के बावजूद दादरी रियासत के राजा राव ने गाजियाबाद में हिंडन पुल के पास हुए युद्ध में अंग्रेजों को हराया था।

मेरठ में 10 मई 1857 को सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। इसी रात को दादरी बढ़पुरा गांव के सिपाही भगवान सहाय गांव आ गए। वह अगले दिन दादरी रियासत के राजा राव उमराव सिंह के साथ ही राव रोशन सिंह और राव बिशन सिंह के पास पहुंचे। उन्हें सारी कहानी बताई। इसके बाद यहां भी बगावत करने की योजना बनी।

राव उमराव सिंह की अगुवाई में रातोरात युवाओं को इकट्ठा किया गया और 12 मई 1857 को दादरी बस अड्डे से इसकी शुरुआत हुई। यह आंदोलन 12 से 19 मई तक चला। दादरी से सिकंदराबाद तक रास्ते में जो भी सरकारी दफ्तर-संपत्ति मिली उसे नष्ट करते गए। सिकंदराबाद में 19 मई को अंग्रेजों ने बगावत में शामिल 46 लोगों को पकड़ लिया और बुलंदशहर जेल में बंद कर दिया। हालांकि, वो राव उमराव सिंह को नहीं पकड़ पाए।

आजादी का मिशन जारी रहा
राव उमराव सिंह अपने मिशन में जुटे रहे। उन्होंने भट्टा गांव के सुरजीत सिंह, कलौंदा के तहवर अली खान समेत तमाम लोगों को इकट्ठा किया। उन्होंने 21 मई को बुलंदशहर जेल में धावा बोल दिया और हथियार लूटने के साथ ही अपने साथियों को भी छुड़ा लिया। इसके बाद राव उमराव सिंह दिल्ली पहुंचे। उन्होंने बहादुर शाह जफर से इस क्रांति की अगुवाई करने का अनुरोध किया। इसकी जानकारी अंग्रेजों तक पहुंच गई।

उन्होंने 30 मई को दिल्ली में हमला करने की योजना बनाई। जब इसकी जानकारी राव उमराव को मिली उन्होंने दादरी में भी इसकी तैयारी शुरू कर दी। अंग्रेजों की सेना मेरठ से दिल्ली के लिए और उमराव सिंह अपने दलबल के साथ दिल्ली के लिए निकले। गाजियाबाद में हिंडन पुल के पास दोनों के बीच युद्ध हुआ। इस लड़ाई में कमांडर हेनरी बर्नार्ड की मृत्यु हो गई। दो दिन चले युद्ध में अंग्रेज परास्त हो गए।

गदर का नेता चुना गया
तीन जून को तिल बेगमपुर में महापंचायत हुई। इसमें राव उमराव सिंह को गदर का नेता चुना गया। फिर दादरी से बगावत की शुरुआत हुई। सरकारी संपत्तियों को लूटा गया। अंग्रेजों ने अब तैयारी के साथ 30 जून को दादरी में धावा बोला और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। राव उमराव सिंह साथियों के साथ भूमिगत हो गए। इसी बीच उनके परिजनों और 84 साथियों को पकड़ लिया गया।

कानपुर से लौटते वक्त गिरफ्तार
कठहैरा निवासी श्यामवीर प्रधान बताते हैं कि अंग्रेजों को मात देने के लिए राव उमराव सिंह मंत्रणा के लिए कानुपर गए। कठहैरा गांव उस वक्त दादरी रियासत में ही आता था। कानपुर से वापस लौटते वक्त अंग्रेजों ने राजा राव उमराव सिंह को गिरफ्तार कर लिया। बाद में उन्हें बुलंदशहर में काला आम चौराहे पर 84 साथियों के साथ फांसी दे दी गई।

News Desh Duniya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *