नीतीश कुमार की नाराजगी में अमित शाह भी हैं फैक्टर, सुशासन बाबू को क्या है होम मिनिस्टर से दिक्कत
बिहार में आरसीपी सिंह की जेडीयू से विदाई के बाद से ही कयासों का दौर तेज है। चर्चाएं यहां तक पहुंच गई हैं कि सीएम नीतीश कुमार भाजपा को छोड़कर अब एक बार फिर से आरजेडी के साथ जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को अमित शाह के बिहार की राजनीति में बढ़ते दखल से परेशानी है और वह असहज महसूस कर रहे हैं। खुद भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा और होम मिनिस्टर अमित शाह भी कह चुके हैं कि आम चुनाव में बिहार से नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे और उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी उनकी यह भूमिका कायम रहेगी। लेकिन नीतीश कुमार गठबंधन में असहज हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा की रणनीति उन्हें चुभ रही है।
दरअसल बिहार की मौजूदा सरकार में भाजपा के कोटे से जो मंत्री बने हैं, वे अमित शाह की पसंद के माने जाते हैं और नीतीश कुमार इसे अपने लिए खतरे के तौर पर देखते रहे हैं। आरसीपी सिंह ने भी जेडीयू छोड़ते हुए आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार को जलन है। उन्होंने कहा था, ‘मैं तो यही कह सकता हूं कि जलन का कोई इलाज नहीं है। नीतीश कुमार अपने 7 जन्मों में भी पीएम नहीं बन सकते।’ नीतीश कुमार ने पिछले महीने ही आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजने से मना कर दिया था। नीतीश कुमार इस बात से नाराज थे कि उनकी सलाह के बिना ही आरसीपी सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई थी।
अपने ही विधानसभा स्पीकर से क्यों हैं नाराज
यही नहीं नीतीश कुमार अपनी ही पार्टी के नेता रहे विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा से नाराज हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें विधानसभा के स्पीकर के पद से हटा दिया जाए। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही नीतीश कुमार ने आपा खो दिया था और जमकर हमला बोला था। पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी वाले 4 कार्यक्रमों से नीतीश कुमार लगातार दूर रहे हैं। इसके अलावा अमित शाह की ओर से बुलाई बैठकों में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया है। इसे भी नीतीश कुमार की ओर से नाराजगी के संकेतों के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि वह लगातार आरजेडी के टच में कुछ वक्त से बने हुए हैं।
बिहार भाजपा नेताओं के हमलों से भी खफा हैं नीतीश
सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार इस बात से नाराज हैं कि बिहार भाजपा के नेता अकसर उन पर अटैक कर रहे हैं। वहीं भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप इसमें कोई दखल नहीं दे रही है। यही नहीं सुशील मोदी जैसे नेताओं को भाजपा ने बिहार की राजनीति से अगल कर दिया है, जिनसे उनके अच्छे संबंध रहे हैं। भाजपा ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया है और संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया है। नीतीश कुमार का मानना है कि इन लोगों की जमीन पर कोई पकड़ नहीं है। इसके अलावा प्रशासनिक अनुभव में भी कच्चे हैं।