दोहरी लेखा प्रणाली से खुलेंगे निगम-पालिकाओं की कमाई के रास्ते, डबल अकाउंटिंग पर मुहर
प्रदेश के सभी निगमों और नगर पालिकाओं में अब अकाउंटिंग का पुराना सिस्टम खत्म होने जा रहा है। कैबिनेट बैठक में इनमें एकरूपता लाने के लिए दोहरी लेखा प्रणाली (डबल अकाउंटिंग सिस्टम) लागू करने पर मुहर लग गई है। इससे जहां खर्च-कमाई में पारदर्शिता आएगी तो वहीं निगम-पालिकाओं को क्रेडिट रेटिंग के हिसाब से योजनाओं के लिए बाजार से पैसा ले सकेंगें।
दरअसल, प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं में अभी तक एकल लेखा प्रणाली लागू है, जो आय ओर व्यय का ब्यौरा रखने का पुराना तरीका है। इसमें एकरूपता लाने के लिए लंबे समय से दोहरी लेखा प्रणाली पर काम चल रहा है। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग गई।
इसके लिए सभी निगमों और पालिकाओं के मैन्युअल एक होंगे। इससे सभी निकायों में होने वाली कमाई और खर्चों में पारदर्शिता आएगी। शहरी विकास विभाग इन पर सीधे नजर रख सकेगा। इसके हिसाब से निकायों की बही खाता बनेगी। निकायों की क्रेडिट रेटिंग सिविल स्कोर की तरह होगी। इसी रेटिंग के आधार पर निकाय अपनी किसी भी योजना को पूरा करने के लिए बाजार से आसानी से लोन ले सकेंगें।
भवन निर्माण के विकल्प से मिली राहत
प्रदेश में अभी तक 500 वर्ग मीटर तक आवास निर्माण के जो नियम हैं, वह काफी सख्त हैं। इसके मुकाबले केंद्र सरकार का नेशनल बिल्डिंग कोड आसान है। सरकार ने अब 500 वर्ग मीटर तक के एकल आवास निर्माण में राज्य या केंद्र दोनों में किसी एक के कोड को चुनने की आजादी दे दी है। इसके लिए सभी विकास प्राधिकरणों को अपने सॉफ्टवेयर में अपडेशन करना होगा। इसके बाद आवेदन करने वालों को कोई एक विकल्प चुनने का मौका मिलेगा।