UKSSSC भर्ती घोटाले में आयोग के पूर्व अध्यक्ष समेत तीन गिरफ्तार
वीपीडीओ भर्ती घपले में एसटीएफ ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए यूकेएसएसएससी के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ ने तीनों को मेडिकल कराकर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। गिरफ्तार कन्याल सचिवालय में संयुक्त सचिव लेखा के पद पर तैनात हैं। जबकि रावत और पोखरिया रिटायर हो चुके हैं। आरोप है कि, कन्याल के घर पर ही भर्ती का फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया था।
एसटीएफ के मुताबिक तमाम साक्ष्यों और पूछताछ के बाद तीनों को गिरफ्तार किया गया है। अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया था। जांच में ओएमआर से छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी। तीनों की गिरफ्तारी के बाद अब अन्य पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। एसटीएफ ने कहा कि, तीनों की संपत्ति की जांच भी की जा रही है। वीपीडीओ भर्ती घपले में एसटीएफ तीन लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
236 केंद्रों पर 87196 अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षा
आयोग की ओर से छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई थी। परीक्षा सभी 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में हुई थी। इसमें 87,196 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था। परीक्षा में धांधली में के आरोपों पर 2017 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई थी। जांच में परीक्षा में घपले की पुष्टि हुई थी।
युवाओं का हक मारने को नहीं छोड़ेंगे : धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि, जांच एजेंसियां पूरी निष्पक्षता से अपना काम कर रही हैं। उत्तराखंड के युवाओं का हक मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं स्वच्छ और पारदर्शी हों। यह कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके। सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे जड़ से मिटा देंगे।
अब तक पांच अफसर आ चुके हैं शिकंजे में
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पर गठन के बाद से ही भर्तियों में धांधली के आरोप लगते रहे हैं। आयोग के दूसरे कार्यकाल तक ही छह में से पांच शीर्ष अधिकारी जांच में फंस चुके हैं, जिसमें से तीन गिरफ्तार भी हो चुके हैं। एक मात्र एस राजू ही अब जांच के दायरे से बाहर हैं।
वीपीडीओ – 2016 भर्ती में धांधली की शिकायत पर जब दुबारा लिखित परीक्षा आयोजित की गई तो मैरिट में शामिल एक ‘मेधावी’ के नंबर नेगेटिव मार्किंग के चलते माइनस में आए थे। यही नहीं, 66 सफल अभ्यर्थी बाद में परीक्षा देने का साहस तक नहीं जुटा पाए थे। पहली परीक्षा में सफल सिर्फ आठ युवा ही दूसरी बार में पास हो पाए थे।