कोविड अस्पताल के 125 वेंटिलेटर,आईसीयू बेड कहां होंगे इस्तेमाल?
डीआरडीओ द्वारा मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में बनाए गए कोविड अस्पताल को बंद करने के आदेश जारी हो चुके हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से जारी आदेश के तहत यहां के सभी उपकरण व सामान जनपद के राजकीय अस्पतालों को उनकी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध कराए जाने हैं।लेकिन जनपद के अस्पतालों की स्थिति ऐसी नहीं है कि वहां पर कोविड अस्पताल के आईसीयू बेड, वेंटिलेटर आदि को रखकर उनका इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने कोविड अस्पताल के करीब 124 वेंटिलेटर और इतने ही आईसीयू बेड के इस्तेमाल का संकट खड़ा हो गया है।
कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल कॉलेज में डीआरडीओ ने 21 दिन में जनरल बीसी जोशी कोविड अस्पताल तैयार किया था। करीब 35 करोड़ की लागत से तैयार अस्पताल का 2 जून 2021 को लोकार्पण किया गया। कोरोना की तीसरी लहर भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्पताल को बंद करने का निर्णय लिया है।
रेफर करना पहली प्राथमिकता
सरकार ने अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज खोला है। देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों का वहां तबादला किया गया। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में आधुनिक उपकरण जुटाए गए हैं। बावजूद इसके वहां से मरीजों को हल्द्वानी रेफर किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि स्टाफ के अभाव में कोविड अस्पताल के उपकरणों को पर्वतीय इलाकों के अस्पतालों में देने से भी कुछ लाभ
नहीं होगा।
200 बेड वाले बेस का आईसीयू बंद
जिले में सुशीला तिवारी अस्पताल के बाद बेस अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीजों की ओपीडी होती है। 200 बेड के इस अस्पताल में करीब 900 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं। यहां बर्नवार्ड को बदल कर 5 बेड का आईसीयू बनाया गया, जो स्टाफ की कमी के चलते शुरू ही नहीं हुआ। यहां बर्नवार्ड के बगल में बाल रोग विभाग का वार्ड था उसमें भी 9 बेड का हाईटेक आईसीयू बनाया गया है। स्टाफ की कमी के चलते वहां भी ताला लटका हु्आ है।
खराब होने का भी खतरा
आईसीयू बेड व वेंटिलेटर का कोविड अस्पताल में नहीं के बराबर इस्तेमाल हुआ। इसकी वजह यह रही कि तीसरी लहर में ज्यादा मरीज घरों में ही ठीक हो गए। जो अस्पताल पहुंचे उनमें से भी करीब 20-25 मरीजों को आईसीयू की जरूरत पड़ी। ऐसे में वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं हुआ। जानकारों का कहना है कि एक साल से धूल फांक रहे इन उपकरणों का इस्तेमाल नहीं हुआ तो यह खराब हो जाएंगे।फिलहाल हम सभी उपकरणों को अपने पास रख रहे हैं। कुछ को एसटीएच के खराब उपकरणों से बदला जाएगा। शेष डिमांड के अनुरूप लिस्ट बना कर उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।